नेपोलियन महान :अपने दृढ संकल्प से हर बाधा को हराया : Napoleon the Great : Napoleon Defeated The Difficulty

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Hello दोस्तों, आज हम आपको एक महान नेपोलियन की कहानी बता रहे है जिसने अपने दृढ संकल्प से हर बाधा, हर मुश्किल को हराया (Napoleon Defeated The Difficulty)। अगर आपको यह आर्टिकल पसंद आये तो कृपया लाइक और शेयर जरुर करें।

नेपोलियन महान :अपने दृढ संकल्प से हर बाधा, हर मुश्किल को हराया

हर इन्सान अपनी जिंदगी (life) में आगे बढ़ना (progress) चाहता है, आगे बढ़ने के बारे में सोचता भी है, कोशिश भी करता है, मेहनत भी करता है लेकिन इसके बावजूद भी सभी लोग अपनी जिंदगी में आगे नहीं बढ़ पाते। हममें से सिर्फ कुछ लोग ही या यूँ कहें कि सिर्फ गिने चुने लोग ही आगे बढ़ पाते हैं।

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और इसका कारण है कि ज्यादातर लोग अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने में आने वाली मुश्किलों, मुसीबतों, परेशानियों से डर जाते हैं, घबरा जाते है, हार जाते हैं और उनका सामना नहीं कर पाते हैं। और जो लोग इन मुश्किलों, परेशानियों, मुसीबतों का डट कर सामना करते हैं, हार नहीं मानते हैं वे लोग जिंदगी की तमाम बाधाओं को, विपरीत परिस्थितियों को पार कर जाते हैं और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ जाते हैं।

मुश्किलों से हारने वाले लोगों पर नकारात्मकता (negativity) हावी हो जाती है, वे मन से हार जाते हैं उन्हें अपना लक्ष्य (goal) कहीं दिखाई नहीं देता है। उन्हें हर तरफ सिर्फ निराशा और अँधेरा ही दिखाई देता है।

जबकि मुश्किलों का डट कर सामना करने वाले लोग हर मुश्किल, हर परेशानी को एक चुनौती (challenge) की तरह लेते हैं और वे अपने पूरे जोश, लगन और मेहनत से हर मुश्किल को हरा देते हैं और जीत हासिल करते हैं और बुलंदियों को छूते हैं। विजेता कभी भी को अपने ऊपर negativity को हावी नहीं होने देते। उनको हमेशा अपना लक्ष्य दिखाई देता है।

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एक महान विचारक का बहुत ही सुन्दर विचार है –

“मैदान का हारा हुआ इंसान अपनी अगली लड़ाई जीत सकता है, लेकिन मन का हारा हुआ इंसान अपनी ज़िंदगी की कोई भी लड़ाई नहीं जीत सकता।”

ये बिलकुल सच्ची बात है कि जो इन्सान अपने मन से हार गया वह हर काम में, हर जगह पर सिर्फ हारता ही है।

अपने मन को जीतने की, दृढ संकल्प की, और जो ठान लिया उसे पूरा करने के अपने जूनून से सम्बन्धित महान नेपोलियन के बारे में एक कहानी मैं आपको यहाँ बताने जा रहा हूँ।

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महान नेपोलियन जब सन 1799 में फ्रांस के तख़्त पर बैठा तो, उसने इटली में फ्रांस की सेनाओ को मज़बूत करने और आस्ट्रिया की सेनाओ द्वारा कब्ज़ा किये गये इलाके  वापस जीतने का दृढ संकल्प किया। वह अपना संकल्प पूरा करने के लिये सेना लेकर निकल पड़ा लेकिन उसके रास्ते में यूरोप का सबसे ऊँचा और ठंडा पर्वत आल्पस (Alps) खड़ा था। आल्पस यूरोप की सबसे ऊँची और लम्बी पर्वत श्रंखला है जो करीब 4800 मीटर ऊँची और 1200  किलोमीटर लम्बी है।

अगर नेपोलियन 1200 किलोमीटर घूम कर जाता तो  तब तक दुश्मन की सेनाओ को उसके आने की भनक लग जाती,  इसलिए उसने आल्पस पर्वत को पार कर अचानक हमला करने की योजना बनाई। हालाँकि यह काम पहले किसी ने भी नहीं किया था। फिर भी नेपोलियन इतना साहसी था कि चालीस हज़ार सेनिकों को लेकर वह आल्पस को पार करने निकल पड़ा।

पूरे विश्व मे नेपोलियन के बारे मे एक बात बहुत ही प्रसिद्ध थी कि वह जिस काम को भी करने की ठान लेता था  उसे पूरा करके ही छोड़ता था, चाहे उसके रास्ते मे कितनी भी बाधाएँ क्यों ना आयें।

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आल्पस को किस जगह से पार करना है यह कोई नहीं जानता था।  नेपोलियन की सेनाओ ने पर्वत की तलहटी में अपने कैंप लगा दिए।  नेपोलियन खुद पर्वत को पार करने के रास्ते की तलाश में निकल गया। पर्वत की तलहटी में बसे एक छोटे से गाँव में उसने एक बूढी औरत से पर्वत को पार करने के रास्ते के बारे में पूछा।

नेपोलियन का सवाल सुनकर वह बुढ़िया चौंक गयी और बोली “यह पर्वत बहुत ही खतरनाक है और इस पर चढ़ाई कर पाना बहुत ही मुश्किल है और असम्भव भी है। आज तक जितने भी लोगों ने इस पर चढ़ाई करने की चेष्टा की है, उन सभी को अपनी जान गँवानी पड़ी है।

आज तक कोई इस ऊँचे और भयानक ठन्डे पहाड़ को पार नहीं कर पाया है,  यह तो आत्महत्या है। तुम अपनी सेनाओ के साथ लौट जाओ, यही बेहतर रहेगा।”

नेपोलियन ने यह सुनकर बुढ़िया से कहा  “आपने मुझे ये सारी बातें बोल कर मेरे हौसले को दोगुना कर दिया है और मुझे जबरदस्त प्रेरणा दी है। अब तो मैं इस पर्वत पर चढ़ाई करूँगा ही।” नेपोलियन ने ऐसा ही किया, अपने दृढ निश्चय और साहस से उसने अपनी चालीस हज़ार की सेना के साथ आल्पस पर चढ़ाई कर दी और उसको पार कर लिया।

आल्पस को पार करने पर उसने पाया कि दुश्मन की सेनाएं शहर को लूट कर वहाँ से जा चुकी हैं।  लेकिन नेपोलियन ने हार नहीं मानी,  उसने दुश्मन की सेनाओ का पीछा किया और उन्हें पराजित कर दिया।

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इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?

Ince  Lombardi Jr कहते हैं कि

“एक सफल और असफल मनुष्य के बीच में न तो योग्यता का अंतर है और न ही ज्ञान का, बल्कि अंतर है तो सिर्फ दृढ संकल्प का।”

जिस इन्सान ने एक बार किसी भी चीज को पाने के लिए दृढ संकल्प कर लिया, उस इन्सान को उस चीज को पाने से फिर कोई भी नहीं रोक सकता है। फिर उसके रास्ते में चाहे कितने भी आल्पस आयें वो हर बाधा को पार करके उस चीज को हासिल कर ही लेता है।

दोस्तों, नेपोलियन की इस कहानी से हमें ये प्रेरणा मिलती है कि हमारी जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें आयें, कितनी भी बड़ी बाधाएँ आयें, हमें अपने जोश को, अपने जूनून को कम नहीं होने देना है। अपने दृढ संकल्प को अपने विश्वास को बनाये रखना है। हमें हर हालत में, हर परिस्थिति में अपने लक्ष्य को हासिल करना है। अपनी जिंदगी में आगे बढ़ना है। अपनी जिंदगी को बेहतर बनाना है।

 


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