महात्मा गौतम बुद्ध के प्रेरणादायक विचार (Motivational quotes of Gautama Buddha)
महात्मा गौतम बुद्ध विश्व के प्राचीनतम धर्मों में से एक बौद्ध धर्म के प्रवर्तक थे। इनके बचपन का नाम सिद्धार्थ था। शाक्य नरेश शुद्धोधन के घर जन्मे सिद्धार्थ विवाहोपरांत नवजात शिशु राहुल और पत्नी यशोधरा को त्यागकर संसार को जरा, मरण और दुखों से मुक्ती दिलाने के मार्ग की तलाश में रात में राजपाठ छोड़कर जंगल चले गए।
वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधी वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे सिद्धार्थ से बुद्ध बन गए। उनका जन्म 483 और 563 ईस्वी पूर्व के बीच शाक्य गणराज्य की तत्कालीन राजधानी कपिलवस्तु के निकट लुंबिनी,नेपाल में हुआ।
आज मैं यहाँ गौतम बुद्ध के प्रेरणादायक विचारों (Motivational thoughts of Gautama Buddha in hindi) के बारे में बता रहा हूँ।
गौतम बुद्ध के अनमोल कथन (Gautama Buddha motivational quotes in hindi)
1. एक जग बूँद-बूँद कर के भरता है।
2. हम जो सोचते हैं , वो बन जाते हैं।
3. हर इंसान अपने स्वास्थ्य या बीमारी का लेखक है।
4. मन सब कुछ है। जो तुम सोचते हो वो तुम बनते हो।
5. बुद्धिमानी से जीने वाले को मौत से भी डर नही लगता है।
6. पैर तभी पैर महसूस करता है जब यह जमीन को छूता है।
7. आप वो है जो आप रह चुके है, आप वो होंगे जो आप करेंगे।
8. हजारों खोखले शब्दों से अच्छा वह एक शब्द है जो शांति लाए।
9. घृणा, घृणा से नहीं प्रेम से खत्म होती है, यह शाश्वत सत्य है।
10. अपने मोक्ष के लिए खुद ही प्रयत्न करें। दूसरों पर निर्भर ना रहे।
11. अज्ञानी आदमी एक बैल है। ज्ञान में नहीं, वह आकार में बढ़ता है।
12. तीन चीजें ज्यादा देर तक नहीं छुप सकती, सूरज, चंद्रमा और सत्य।
13. शांति मन के अन्दर से आती है, इसके बिना इसकी तलाश मत करो।
14. आप अपने पथ की यात्रा नहीं कर सकते, जब तक आप खुद अपना पथ नहीं बनाते ।
15. तुम अपने क्रोध के लिए दंड नहीं पाओगे, तुम अपने क्रोध द्वारा दंड पाओगे।
16. निश्चित रूप से जो नाराजगी युक्त विचारो से मुक्त रहते है वही शांति पाते है।
17. मैं कभी नहीं देखता क्या किया गया है, मैं केवल ये देखता हो क्या करना बाकी है।
18. बिना सेहत के जीवन जीवन नहीं है; बस पीड़ा की एक स्थिति है- मौत की छवि है।
19. स्वास्थ्य सबसे बड़ा उपहार है, संतोष सबसे बड़ा धन है, वफ़ादारी सबसे बड़ा सम्बन्ध है।
20. अतीत पे ध्यान मत दो, भविष्य के बारे में मत सोचो, अपने मन को वर्तमान क्षण पे केन्द्रित करो।
21. जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती , मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता।
22. सभी बुरे कार्य मन के कारण उत्पन्न होते हैं। अगर मन परिवर्तित हो जाये तो क्या अनैतिक कार्य रह सकते हैं?
23. किसी विवाद में हम जैसे ही क्रोधित होते हैं हम सच का मार्ग छोड़ देते हैं, और अपने लिए प्रयास करने लगते हैं।
24. अच्छे स्वास्थ्य में शरीर रखना एक कर्तव्य है … अन्यथा हम हमारे मन को मजबूत और साफ रखने के लिए सक्षम नहीं हो पाएंगे।
25. आपके पास जो कुछ भी है है उसे बढ़ा-चढ़ा कर मत बताइए, और ना ही दूसरों से ईर्ष्या कीजिये। जो दूसरों से ईर्ष्या करता है उसे मन की शांति नहीं मिलती।
26. वह जो पचास लोगों से प्रेम करता है उसके पचास संकट हैं, वो जो किसी से प्रेम नहीं करता उसके एक भी संकट नहीं है।
27. क्रोध को पाले रखना गर्म कोयले को किसी और पर फेंकने की नीयत से पकडे रहने के समान है; इसमें आप ही जलते हैं।
28. चाहे आप जितने पवित्र शब्द पढ़ लें या बोल लें, वो आपका क्या भला करेंगे जब तक आप उन्हें उपयोग में नहीं लाते?
29. शक की आदत से भयावह कुछ भी नहीं है। शक लोगों को अलग करता है. यह एक ऐसा ज़हर है जो मित्रता ख़त्म करता है और अच्छे रिश्तों को तोड़ता है। यह एक काँटा है जो चोटिल करता है, एक तलवार है जो वध करती है।
30. सत्य के मार्ग पे चलते हुए कोई दो ही गलतियाँ कर सकता है, पूरा रास्ता ना तय करना, और इसकी शुरआत ही ना करना।
31. एक शुद्ध निःस्वार्थ जीवन जीने के लिए, एक व्यक्ति को प्रचुरता में भी कुछ भी अपना नहीं है ऐसा भरोसा करना चाहिए।
32. हजार लड़ाई जीतने से अच्छा है अपने आप को जीतना. फिर जीत तुम्हारी है।
33. जीभ (यहा पर अर्थ है आपके बोलने का तरीका) एक तेज़ चाकू की तरह है, और खून तक नहीं निकलता। अर्थात आपके बोलने के तरीके से किसी को तकलीफ हो सकती है सोच समझकर बोलिए।
34. स्वस्थ रहने के लिए, परिवार को ख़ुशी देने के लिए, सभी को शांति देने के लिए, व्यक्ति को सबसे पहले स्वयं के मन को अनुशासन में रखना होगा। अगर कोई व्यक्ति अपने मन को अनुशासन में कर लेता है तो वो ज्ञान की तरफ बढ़ता है।
35. आकाश में पूरब और पश्चिम का कोई भेद नहीं है, लोग अपने मन में भेदभाव को जन्म देते हैं और फिर यह सच है ऐसा विश्वास करते हैं।
36. हम जो कुछ भी हैं वो हमने आज तक क्या सोचा इस बात का परिणाम है। यदि कोई व्यक्ति बुरी सोच के साथ बोलता या काम करता है , तो उसे कष्ट ही मिलता है। यदि कोई व्यक्ति शुद्ध विचारों के साथ बोलता या काम करता है, तो उसकी परछाई की तरह ख़ुशी उसका साथ कभी नहीं छोडती।
37. किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी और दुष्ट मित्र से ज्यादा डरना चाहिए, जानवर तो बस आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, पर एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुकसान पहुंचा सकता है।
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Nice post sir
Sir yah aapka post bahut hi achha lga Mahatma Gautama Budh ke vicharo ka bahut hi badhya sangrah apne share kiya hain iske liye Dhnyabad.
good thought. thanks for share
ok sar
Thanks Amul ji
Bahut acche anmol vachan…..thanks for share……