Hindi moral story in hindi : दोस्तों, हिंदी प्रेरणादायक कहानियाँ (Moral stories in hindi) के कारवाँ को आगे बढ़ाते हुए, आज फिर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक नयी हिंदी प्रेरणादायक कहानी (Motivational story in hindi)। इसे पढ़िए, इससे सीखिए और इसे प्रेरणा लीजिये।
दोस्तों आज मैं आपके सामने एक ऐसी कहानी पेश करने जा रहा हूँ जिसमे एक जैसी ही परिस्थितियों में, एक जैसी ही बातों के लिए दो अलग अलग लोगों का चीजों को देखने का नजरिया, सोचने का नजरिया अलग अलग था। मुझे ये कहानी बहुत पसंद आई इसलिए इसे आपके साथ शेयर कर रहा हूँ । ताकि इसे पढ़कर आपका भी चीजों को देखने का नजरिया, सोचने का नजरिया बदल जाये।
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कहानी इस प्रकार है
एक महान लेखक अपने लेखन कक्ष में बैठा हुआ अपनी डायरी में लिख रहा था – पिछले साल मेरा ऑपरेशन हुआ और मेरा गाल ब्लेडर निकाल दिया गया। इस आपरेशन के कारण मुझे बहुत लंबे समय तक बिस्तर पर रहना पड़ा। इसी साल मैं 60 वर्ष का हुआ और मेरी पसंदीदा नौकरी चली गयी। जब मैंने उस प्रकाशन संस्था को छोड़ा तब 30 साल हो गए थे मुझे उस कम्पनी में काम करते हुए। इसी साल मुझे अपने पिता की मृत्यु का दुःख भी झेलना पड़ा। और इसी साल मेरा बेटा कार एक्सिडेंट हो जाने के कारण मेडिकल की परीक्षा में फेल हो गया, क्योंकि उसे बहुत दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ा। कार की टूट-फूट का नुकसान अलग हुआ। अंत में लेखक ने लिखा, यह बहुत ही बुरा साल था।
तभी लेखक की पत्नी लेखन कक्ष में आई तो उसने देखा कि उसका पति बहुत दु:खी लग रहा है और अपने ही विचारों में खोया हुआ है। अपने पति की कुर्सी के पीछे खड़े होकर उसने देखा और पढ़ा कि वो क्या लिख रहा था ? वह चुपचाप कक्ष से बाहर गई और थोड़ी देर बाद एक दूसरे कागज़ के साथ वापस लौटी। उसने वह कागज़ अपने पति के लिखे हुए कागज़ के बगल में रख दिया। लेखक ने पत्नी के रखे कागज़ को देखा तो उसे कुछ लिखा हुआ नजर आया।
उसने पढ़ना शुरू किया-
पिछले साल आखिर मुझे उस गाल ब्लेडर से छुटकारा मिल गया, जिसके कारण मैं कई सालों से दर्द से परेशान था। इसी साल मैं 60 वर्ष का होकर स्वस्थ दुरुस्त अपनी प्रकाशन कम्पनी की नौकरी से रिटायर हुआ। अब मैं पूरा ध्यान लगाकर शान्ति के साथ अपने समय का उपयोग और बढ़िया लिखने के लिए कर पाउँगा। इसी साल मेरे 95 वर्ष के पिता बगैर किसी पर आश्रित हुए और बिना किसी गंभीर बीमार के परमात्मा के पास चले गए। इसी साल भगवान् ने एक्सिडेंट में मेरे बेटे की रक्षा की। कार टूट-फूट गई, लेकिन मेरे बच्चे की जिंदगी बच गई। उसे नई जिंदगी तो मिली ही साथ ही हाँथ पाँव भी सही सलामत हैं। अंत में उसकी पत्नी ने लिखा था, इस साल भगवान की हम पर बहुत कृपा रही, यह साल अच्छा बीता।
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तो दोस्तों आपने देखा, कि परिस्थितियां वही थीं, बात भी वही थी लेकिन दोनों पति पत्नी का नजरिया अलग अलग था। पति जहाँ उन्ही बातो को लेकर बहुत दुखी था और बहुत परेशान हो रहा था। वहीँ पत्नी उन्ही बातों को, उन्ही परिस्थितियों को अलग नज़रिये से देख रही थी। यहाँ पति का नजरिया नकारात्मक था तथा पत्नी का नजरिया सकारात्मक था।
हर बात के, परिस्थिति के दो पहलू होते हैं, दो नज़रिये होते हैं। एक नकारात्मक होता है और दूसरा सकारात्मक होता है। नकारात्मक नज़रिये से चीजों को देखने पर हम बस परेशान ही रहते हैं, उदास रहते है, दुखी रहते हैं, खुद को या दूसरों को नुकसान पहुंचा सकते हैं, दूसरों के साथ अपने रिश्तों को बिगड़ लेते हैं तथा उस परिस्थिति से निकलने का प्रयास ही नहीं कर पाते हैं।
जबकि सकारात्मक होकर चीजों को देखने पर हर परेशानी की वजह मिल जाती है और हर परेशानी से , मुश्किल से, हर मुसीबत से निकलने का रास्ता मिल जाता है।
दोस्तों चीजें वही रहती हैं बस हम अपने नज़रिये से अपनी परिस्थितियों को बदल सकते हैं। इसलिए नकारात्मक होकर परेशान होकर, दुखी होकर रहने से अच्छा है कि सकारात्मक होकर खुश रहे और उन परिस्थतियों से, मुश्किलों से, मुसीबतों से निकलने का प्रयास करें।
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Thanks Amul ji
very good and inspiring article…..
Thanks sandeep ji
Wow sir kya baat hai. Excellent words.