Haldhar Nag Kosli Biography : तीसरी पास शख्स को पदमश्री अवार्ड

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Haldhar Nag Kosli Biography in Hindi : Hello मित्रो और प्यारे दोस्तों आज हम आपको (Haldhar Nag Kosli Biography : तीसरी पास शख्स को मिला पदमश्री अवार्ड) Haldhar Nag Poetry सुनाने वाले हैं। हलधर नाग कभी बर्तन माँजने वाले हुआ करते थे। जिन्होंने तीसरी कक्षा पास की है। यह वो शख्स हैं जिन्कोहें पदमश्री अवार्ड मिला।

Haldhar Nag Kosli Biography Hindi Mein

haldhar naag biography
राष्ट्रपति से पदमश्री अवार्ड लेते हुए कवि हलधर नाग

पैर में बिना जूता या चप्पल पहने आप कितने दिन रह सकते हो? चलो वो भी छोड़ो नंगे पैर आप सड़क पर कितनी दूर चल सकते हो? इस ख्याल से ही डर सा लगने लगता है कि नंगे पाँव कंकरीली पथरीली सड़क पर कैसे चला जायेगा? लेकिन एक शख्स ऐसा भी है जिसने अपनी जिन्दगी में कभी अपने पाँव में कोई चप्पल या जूता नही पहना है और वो 66 साल से नंगे पाँव ही रह रहे हैं।

पिछले दिनों (March  2016) में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कुछ हस्तियों को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान पदमश्री, पदम भूषण और पदम विभूषण से नवाजा है। जिनमें से 83 लोगों को 2016 का पदमश्री सम्मान मिला है। जिनमें मुख्य रूप से अजय देवगन, प्रियंका चौपड़ा, दिलीप संघवी आदि हैं। पदमश्री अवार्ड भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला भारत रत्न के बाद चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। जो कला, शिक्षा, साहित्य, विज्ञान, खेल, चिकित्सा, इण्डस्ट्री तथा समाज सेवा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने पर दिया जाता है।

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इन्ही 83 लोगों में से एक नाम ऐसा भी है जिन्होंने अपनी जिन्दगी में गरीबी और संधर्ष के अलावा कुछ देखा ही नही है। वो महज कक्षा 3 तक ही पढ़े हैं। लेकिन अपनी प्रतिभा की बदौलत आज उन्हें देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पदमश्री सम्मान’ से नवाजा गया है। देश के राष्ट्रपति के हाथों से सम्मान पाना बड़े ही गौरव की बात होती है।

लेकिन बड़ी बड़ी हस्तियों के आगे उनके बारे में ना टी वी, समाचार पत्र में ज्यादा कुछ देखने, पढने को मिला और ना ही सोशल मीडिया पर। और शायद ज्यादातर लोगों ने पहले कभी उनका नाम भी ना सुना हो। लेकिन जब आप उनकी जिन्दगी के बारे में जानेंगे तो आप सोचने के लिये मजबूर हो जायेंगे कि उनकी ये उपलब्धि कितनी बड़ी है।

उस शख्स का नाम है हलधर नाग। 66 वर्षीय हलधर नाग ओडिशा के रहने वाले हैं तथा कोसली भाषा के कवि हैं। हलधर नाग सिर्फ तीसरी कक्षा तक पढ़ें है। अपनी गरीबी के कारण नाग ने अपनी जिन्दगी में कभी अपने पैर में जूते, चप्पल नही पहने। पेट पालने के लिये उन्हें एक दुकान पर बर्तन माँजने पड़े। लेकिन इतनी मुसीबतों को झेलने वाले हलधर नाग के जीवन पर आज 5 लोग PhD कर रहे हैं। और उनकी कविताओं को ओडिशा की संबलपुर यूनिवर्सिटी के syllabus में शामिल किया गया है।

आज मैं Gyan Versha पर उनके जीवन से जुड़ी कुछ बातें तथा उनके संघर्ष की कहानी बताने जा रहा हूँ।

हलधर नाग का बचपन / Haldhar Nag’s childhood Story

हलधर नाग का जन्म ओडिशा के बारगढ़ जिले के घेंस गाँव में 31 मार्च 1950 को एक बहुत ही गरीब परिवार में हुआ था। जब वे मात्र 10 वर्ष के थे तभी उनके पिता की मृत्यु हो गयी। पिता की मौत के बाद उनके घर की आर्थिक स्थिति बहुत बिगड़ गयी जिसके कारण उन्हें तीसरी कक्षा में ही स्कूल छोड़ना पड़ा। और उसके बाद अपनी गरीबी के कारण उन्हें फिर कभी पढने का मौका नहीं मिल पाया।

मिठाई की दुकान पर धोये बर्तन, स्कूल में बनाया खाना / Utensils washed at the sweet shop, food prepared in school

घर की हालत ज्यादा बिगड़ने पर उन्होंने कम उम्र में ही अपनी तथा अपनी विधवा माँ की जिम्मेदारी उठा ली और पास की एक मिठाई की दुकान में बर्तन धोने का काम शुरू कर दिया। ताकि अपना व अपने परिवार का पेट पाल सकें। लगभग दो साल तक उस दुकान पर काम करने के बाद उनके गाँव के सरपंच ने उन्हें एक हाईस्कूल में बावर्ची के काम पर लगा दिया। जहाँ वह स्कूल के बच्चों के लिए खाना बनाते थे। लगभग 16 साल तक वे उस स्कूल में खाना बनाने की नौकरी करते रहे।

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बैंक से 1000 रु. का लोन लेकर दुकान खोली / Taking loan of 1000 from the bank and opened shop

कुछ समय बाद उनके आसपास के इलाके में काफी स्कूल खुलने लगे। तब उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि कोई छोटी मोटी दुकान खोल सकें या कोई छोटा मोटा काम शुरू कर सकें। तभी  इनकी मुलाक़ात एक बैंकर से हुई। उसके सहयोग से इन्होनें बैंक से 1000 रु. का लोन लिया और एक छोटी सी दुकान खोल ली जिसमे ये बच्चो के खाने पीने की चीजें तथा स्कूल की स्टेशनरी बेचकर अपना गुजारा करने लगे।

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हलधर नाग की पहली रचना / Haldhar Nag’s first composition

1990 में हलधर नाग ने अपनी पहली रचना लिखी। जिसका शीर्षक था ‘धोड़ो बारगाछ’। इसका मतलब होता है बरगद का पुराना पेड़। उनकी इस कविता को एक स्थानीय पत्रिका ने छापा। उसके बाद उन्होंने चार कविताओं को छपने के लिये भेजा और उसके बाद उनकी सभी रचनायें पत्रिकाओं में छपने लगी।

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याद रहती हैं सभी रचनायें / We Remember all creations

हलधर नाग कोसली भाषा के कवि है। इन्होने बहुत सी कवितायें तथा 20 महाकाव्य लिखे हैं।  उन्हें अपनी सभी रचनायें ज़ुबानी याद हैं। आप उनसे केवल कविता का नाम या विषय बता दीजिये वह बिना कुछ भूले सारी कवितायें सुना देंगे। हलधर नाग कविताओं को याद रखने के लिये उन्हें गाँव वालो को सुनाते हैं और गाँव वाले भी बड़े ध्यान से उनकी कविताओं को सुनते हैं और सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हैं। इसके साथ साथ वह रोजाना तीन से चार प्रोग्राम में अपनी कवितायें सुनाने जाते हैं।

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वह कहते है कि ये देखना काफी अच्छा लगता है आज के नौजवान भी कोसली भाषा की कविताओं में रूचि ले रहे हैं।

हलधर के मुताबिक़ हर कोई कवि है लेकिन सिर्फ कुछ लोगों के पास ही वह कला होती है जो इसे आकार दे सके। हलधर नाग धर्म, समाज, सामाजिक परिवर्तन जैसे विषयों पर कवितायें लिखते हैं। उनका मानना है कि कविता समाज के लोगो तक संदेश पहुँचाने का सबसे अच्छा माध्यम है।

सादगी पसंद हैं हलधर नाग / Haldhar Nag likes simplicity

कभी पैसों के अभाव के कारण जूते, चप्पल ना पहन पाने वाले हलधर नाग अब नंगे पाँव ही रहते हैं और कपड़ों के नाम पर सिर्फ एक बनियान और धोती पहनते हैं। और सभी कार्यक्रम, प्रोग्राम में वे ऐसे ही जाते हैं। पूछने पर वे बताते हैं कि नंगे पैर और इन कपड़ों में वे अच्छा महसूस करते हैं। उनको देखकर उनकी शख्सियत का अन्दाजा लगाना बहुत मुश्किल है।

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5 छात्र उनके जीवन पर शोध कर चुके है / 5 students have done research on his life

हलधर नाग का व्यक्तित्व बहुत ही साधारण है। उन्हें देखने पर ऐसा नही लगता कि वह इतनी बड़ी शख्सियत होंगे। उनके रहन सहन, उनकी जिन्दगी, उनके संघर्षों पर तथा उनकी कविताओं पर 5 छात्र शोध करके PhD कर चुके हैं। जब वह नंगे पाँव, धोती बनियान में मंच पर आते हैं तो दर्शको का मन मोह लेते हैं।

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उपलब्धियाँ / Achievements

  1. कोसली भाषा में 20 महाकाव्य तथा बहुत सी कवितायें लिख चुके हैं।
  2. ओडिशा में उन्हें ‘लोक कवि रत्न’ के नाम से जाना जाता है।
  3. उनकी कवितायें देश की कई यूनिवर्सिटी के कोर्स में पढाई जाती हैं।
  4. ओडिशा की संबलपुर यूनिवर्सिटी के सिलेबस में उनके महाकव्य “हलधर ग्रंथावली-2’ को शामिल किया गया है।
  5. मार्च 2016 में राष्ट्रपति द्वारा ‘पदमश्री सम्मान’ से सम्मानित किया गया।

हलधर नाग कहते हैं कि एक विधवा माँ के बच्चे का जीवन बड़ा कठिन होता है। हर पल एक नई चुनौती उसके सामने होती है तथा उसे बहुत सी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

तो दोस्तों आपने देखा कि हलधर नाग ने कितनी गरीबी का सामना किया है और कितनी मुसीबतों, मुश्किलों का सामना करके और और अपनी जिंदगी के हर कदम पर संघर्ष करके अपनी प्रतिभा, अपनी मेहनत के दम पर उन्होंने इतना बड़ा सम्मान हासिल किया है। और उनकी जिंदगी के संघर्ष को देखते हुए उनकी ये उपलब्धि वास्तव में बहुत बड़ी है और जो लोग छोटी छोटी मुश्किलों, मुसीबतों से घबरा जाते हैं उन लोगों के लिए एक मिसाल है एक प्रेरणा है।

तो दोस्तों, जिंदगी में चाहे कितनी भी मुश्किलें, मुसीबतें आयें, चाहे हमें कितना भी संघर्ष करना पड़े हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। हमें अपने हुनर, अपनी प्रतिभा को पहचान कर उसे तराशना चाहिए और बिना डरे, बिना हारे, बिना रुके अपने सपनो को पूरा करने की दिशा में मेहनत करते रहना चाहिए। एक दिन आपको अपनी मेहनत का फल ज़रूर मिलेगा और दुनिया आपके हुनर को देखेगी और आपसे प्रेरणा लेगी।

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15 thoughts on “Haldhar Nag Kosli Biography : तीसरी पास शख्स को पदमश्री अवार्ड”

  1. हमारे देश में इतना संघर्ष करने वाले लोग हैं जिनके बारे में पढ़कर हमें भारतीय होने पर गर्व होता है |

  2. हलधर नाग जी की जीवनी बहुत प्रेरणादायक है | एक तरफ तो ये अभावों में हिम्मत न हारने की प्रेरणा देती है | दूसरी तरफ ये भी प्रेरणा मिलती है की प्रतिभा अपना रास्ता स्वयं बना लेती है | हलधर नाग जी की जीवनी को शेयर करने के लिए शुक्रिया

  3. बहुत खूब….
    हलधर नाग जैसे महान कवि के बारे में पूरी जानकारी पढकर प्रेरणा मिलती है सही कहा मुसीबतों से न घबराये…।

  4. विश्वास नहीं होता ऐसी परिस्थितियों में रहकर कोई इतना कुछ कैसे कर सकता है | जीवन मुश्किल डगर है पर हार न मानने वालो की कभी हार नहीं होती |

  5. बहुत ही खूब। हलधर नाग उन जैसे लोगो के लिए एक जीती-जागती मिसाल है जो अपनी ज़िन्दगी में मुसीबतो को पाकर हार मान जाते है। बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने ।

  6. Pushpendra ji abhi kuch din pahle hi maine inke baare me new me dekha tha. Apne bilkul sahi kiya inka puri detail de di hai.

  7. आपने बिलकुल ठीक कहा की हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। यह आर्टिकल हमें सीख देता है की ज़िन्दगी में कुछ भी मुमकिन है।

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