मानसी जोशी : एक पैर खोने के बाद भी नहीं खोया हौंसला, बनीं नेशनल चैंपियन

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मानसी जोशी : एक पैर खोने के बाद भी नहीं खोया हौंसला, बनीं नेशनल चैंपियन

manasi joshi inspirational storyमुश्किलें, मुसीबतें या बुरा वक्त कभी बताकर नहीं आता है | कभी कभी इंसान की ज़िंदगी एक पल में ही पूरी तरह से बदल जाती है | हम रोज अपने दैनिक कार्य करते हैं , घर से बाहर निकलते हैं लेकिन वक्त का कुछ नहीं पता होता कि कब क्या हो जाये ? कौन सी मुसीबत , कौन सी अनहोनी हमारा इंतज़ार कर रही है हमें नहीं पता होता ? कब हमारी हंसती खेलती ज़िंदगी ख़त्म हो जाये , कब हमारे सपने चकना चूर हो जायें किसी को नहीं पता होता ?

मुसीबतें, अनहोनी किसी के साथ भी हो सकती है | कुछ लोग इन्हे अपना दुर्भाग्य मन कर सारी ज़िंदगी बैठकर रोते रहते हैं | वहीँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो परिस्तिथियों को स्वीकार करके उनका हिम्मत से सामना करते हैं और कुछ ऐसा कर जाते हैं जो दूसरों के लिए एक मिसाल बन जाता है, प्रेरणा का स्रोत बन जाता है |

आज मैं आपके सामने एक ऐसी लड़की की कहानी पेश कर रहा हूँ जो एक एक्सीडेंट में अपना एक पैर खोने के बाद टूट कर बिखरने के बजाय एक नेशनल बैडमिंटन प्लेयर बनीं|

इस लड़की का नाम है मानसी जोशी | जो मुंबई में रहती हैं | ये एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं और बैडमिंटन की खिलाडी हैं | ये करीब 10 वर्ष की उम्र से बैडमिंटन खेल रही हैं|

बड़ी हंसी ख़ुशी से जिंदगी गुजर रही थी इनकी | आँखों में बैडमिंटन चैंपियन बनने का सपना था | लेकिन एक दिन एक दर्दनाक हादसे ने इनकी जिंदगी बदलकर रख दी |

रोजाना की तरह एक दिन वे अपनी स्कूटी से अपने ऑफिस के लिए निकलीं| कुछ ही दूर चलने पर रास्ते में एक ट्रक के साथ उनका एक्सीडेंट हो गया | ट्रक उन्हें टक्कर मारकर उनके पैर को कुचलते हुए निकल गया | उन्होंने बताया कि गलती ट्रक ड्राइवर की भी नहीं थी | दरअसल एक पिलर की वजह से ट्रक ड्राइवर उन्हें देख नहीं पाया जिसके कारण ये हादसा हुआ | लोगों की मदद से उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया | डॉक्टरों ने उनके पैर को बचाने की बहुत कोशिश की लेकिन पैर में इन्फेक्शन बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण कुछ दिनों बाद उनके पैर को काटना पड़ा |

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ये हादसा किसी को भी तोड़ने के लिए काफी था | कुछ दिन पहले तक हंसती, खेलती कूदती एक लड़की के लिए एक पैर काट जाने का मतलब था कि जैसे सब कुछ छिन जाना | इसकी कल्पना मात्र से ही शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है |

लेकिन गजब की हिम्मत और साहस दिखाया इन्होने | इन्होने अपने भविष्य के लिए एक ऐसा सफर चुना जिसके बारे में बहुत ही कम लोग सोच पाते हैं | इन्होने अपनी स्थिति को स्वीकार किया और बैडमिंटन के क्षेत्र में ही आगे बढ़ने का फैसला किया |

करीब डेढ़ महीने हॉस्पिटल में रहने के बाद तथा उसके बाद 3 महीने इलाज के बाद इन्हे कृत्रिम पैर लगाया गया | इसके बाद फिजियोथेरेपी और अपने कृत्रिम पैर  के सहारे इन्होने चलना सीखना शुरू किया | इसके बाद बैडमिंटन की प्रैक्टिस और फिर खेलना भी शुरू कर दिया | इसके बाद इन्होने कई प्रतियोगिताओं और टूर्नामेंटों में हिस्सा लिया और बहुत से मेडल जीते | इसके बाद नेशनल लेवल की बैडमिंटन प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और वहाँ भी कई मैच और मेडल जीते | इसके बाद सितम्बर 2015 में इन्होने इंग्लैंड में आयोजित पैरा-बैडमिंटन इंटरनेशनल टूर्नामेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए सिल्वर मेडल जीता | अब उनका सपना 2020 में टोकियो में होने वाले पैरा ओलिंपिक में देश की ओर से खेलना है |

तो दोस्तों ये थी एक मजबूत इच्छाशक्ति वाली एक ऐसी लड़की की कहानी जिसने अपने जज्बे और साहस से बहुत से लोगों को प्रेरित किया है |

दोस्तों यह सब कहने या पढ़ने में बहुत आसान लग सकता है लेकिन हकीकत में यह सफर बहुत दर्द भरा था | कितनी बार वो गिरी होंगी, कितनी बार वो सम्भली होंगी ? और न जाने कितनी बार नकारात्मक विचार मन में आएं होंगे, न जाने कितनी बार अपने नकली पैर को देखकर अपने पुराने दिनों की याद आई होगी ? दिन में जितनी बार भी नकली पैर पर नज़र पड़ती होगी उतनी बार ही मन बिखरता सा लगता होगा ? लेकिन चेहरे पे एक प्यारी सी मुस्कान लिए इस लड़की ने अपनी जिजीविषा, मजबूत इच्छाशक्ति , साहस , जज्बे और अपनी दृढ़ता से अपने आपको बहुत ऊपर उठा लिया है और दूसरे लोगों के लिए एक मिसाल बन गयीं हैं, एक प्रेरणास्रोत और रोल मॉडल बन गयीं हैं |

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इनकी मजबूत इच्छाशक्ति और साहस के दो उदाहरण मैं आपको नीचे बता रहा हूँ |

1. जब डॉक्टरों ने इनसे इनके पैर को काटने के बारे में पूछा तो इन्होने कहा कि ” मुझे मालूम था कि मेरे साथ कुछ ऐसा ही होने वाला है |”

इस सच को स्वीकार करने में कितनी हिम्मत और साहस की जरुरत होती है , ये बताने के लिए मेरे पास शब्द नहीं हैं , आप खुद ही समझ सकते हो |

2. जब हॉस्पिटल में कोई इनसे मिलने आता था तो ये उन्हें जोक्स सुनाती थी हंसी मजाक करती थीं ताकि उन्हें देखकर कोई रोये नहीं | जहाँ लड़कियाँ जरा सी चोट लगने पर रोना शुरू कर देती हैं, आप समझ सकते हैं कि ऐसी हालत में भी दूसरों के बारे में सोचना और हंसी मजाक करने के लिए इन्होने अपने आपको मानसिक तौर पर कितना मजबूत बनाया होगा |

वह बताती हैं कि इस घटना के बाद उनके मन में सबसे बड़ा डर यही था कि अब वे अपना प्रिय खेल बैडमिंटन नहीं खेल पाएंगी |

उनके सामने सिर्फ दो ही रास्ते थे |

पहला ये कि वे इसे अपना दुर्भाग्य मान कर सारी जिंदगी रोती रहें | और दूसरा ये कि वे इस स्थिति को स्वीकार करें और आगे बढ़ें |

और उन्होंने दूसरा रास्ता चुना |

मानसी बताती हैं कि जब लोग उनसे यह पूछते हैं कि वह इतना सब कुछ कैसे कर लेती हैं तो उनका सीधा सा जवाब होता है कि ” आपको कुछ करने से रोक कौन रहा है ?”

तो दोस्तों ये था मानसी जोशी का प्रेरणादायक सफर | इनसे प्रेरणा लेकर हम भी अपनी ज़िंदगी की किसी भी मुसीबत, मुश्किल, अप्रिय घटना या अनहोनी होने पर अपने आपको मानसिक तौर पर मजबूत बना सकते हैं | तथा मजबूत इच्छाशक्ति और साहस से अपने सपनों को साकार कर सकते हैं |

उनके बारे में और ज्यादा जानने के लिए यहाँ क्लिक करें |

Source : Internet, https://manasijosh.blogspot.in/

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15 thoughts on “मानसी जोशी : एक पैर खोने के बाद भी नहीं खोया हौंसला, बनीं नेशनल चैंपियन”

  1. पुष्पेन्द्र जी आपने मानसी जी की कहानी पेश करके ऐसे कई लोगों के लिए एक मिसाल प्रस्तुत की है.
    कृपया आप ये लेख जरुर पढ़ें जिसमें बताया गया है कि कैसे कुछ लोग अपना नसीब बदल लेते हैं.

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