महावीर स्वामी के प्रेरणादायक विचार (Motivational quotes of Mahavira Swami)
महावीर स्वामी जैन धर्म के चौंबीसवें तीर्थंकर है। करीब ढाई हजार साल पुरानी बात है। ईसा से 599 वर्ष पहले वैशाली गणतंत्र के क्षत्रिय कुण्डलपुर में पिता सिद्धार्थ और माता त्रिशला के यहाँ तीसरी संतान के रूप में चैत्र शुक्ल तेरस को इनका जन्म हुआ। इनका बचपन का नाम ‘वर्धमान’ था। ये ही बाद में स्वामी महावीर बने। महावीर को ‘वीर’, ‘अतिवीर’ और ‘सन्मति’ भी कहा जाता है। जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर महावीर स्वामी अहिंसा के मूर्तिमान प्रतीक थे।
उनका जीवन त्याग और तपस्या से ओतप्रोत था। उन्होंने एक लँगोटी तक का परिग्रह नहीं रखा। हिंसा, पशुबलि, जाति-पाँति के भेदभाव जिस युग में बढ़ गए, उसी युग में ही भगवान महावीर ने जन्म लिया। उन्होंने दुनिया को सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया। पूरी दुनिया को उपदेश दिए। उन्होंने दुनिया को पंचशील के सिद्धांत बताए। इसके अनुसार- सत्य, अपरिग्रह, अस्तेय, अहिंसा और क्षमा। उन्होंने अपने कुछ खास उपदेशों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाने की कोशिश की। अपने अनेक प्रवचनों से दुनिया का सही मार्गदर्शन किया।
आज मैं यहाँ महावीर स्वामी के प्रेरणादायक विचारों (Motivational thoughts of Mahavira Swami in hindi) के बारे में बता रहा हूँ।
महावीर स्वामी के अनमोल कथन (Mahavira Swami motivational quotes in hindi)
1. अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है।
2. शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है।
3. सभी जीवित प्राणियों के प्रति सम्मान अहिंसा है।
4. प्रत्येक जीव स्वतंत्र है, कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता।
5. हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो। घृणा से विनाश होता है।
6. खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है।
7. प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है। आनंद बाहर से नहीं आता।
8. किसी के अस्तित्व को मत मिटाओ। शांतिपूर्वक जिओ और दुसरो को भी जीने दो।
9. आत्मा अकेले आती है अकेले चली जाती है, न कोई उसका साथ देता है न कोई उसका मित्र बनता है।
10. स्वयं से लड़ो , बाहरी दुश्मन से क्या लड़ना ? वह जो स्वयम पर विजय कर लेगा उसे आनंद की प्राप्ति होगी।
11. पर दुख को जो दुख न माने,पर पीड़ा में सदय न हो। सब कुछ दो पर प्रभुकिसी को,जग में ऐसा हृदय न दो।
12. सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं , और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं।
13. आपने कभी किसी का भला किया हो तो उसे भूल जाओ। और कभी किसी ने आपका बुरा किया हो तो उसे भूल जाओ।
14. आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत।
15. यदि तुम अपने शरीर या दिमाग पर दूसरों के शब्दों या कृत्यों द्वारा चोट बर्दाश्त नहीं कर सकते हो तो तुम्हे दूसरों के साथ अपनों शब्दों या कृत्यों द्वारा ऐसा करने का क्या अधिकार है ?
16. भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है।
17. किसी आत्मा की सबसे बड़ी गलती अपने असल रूप को ना पहचानना है , और यह केवल आत्म ज्ञान प्राप्त कर के ठीक की जा सकती है।
Related Posts :-
- बाबा साहेब डॉ० भीमराव आंबेडकर के अनमोल विचार (Baba Saheb Bheemrao ambedkar ke prernadayak vichar)
- महात्मा गौतम बुद्ध के अनमोल विचार (Mahatma Gautam Budha ke prernadayak vichar)
- नेपोलियन बोनापार्ट के अनमोल विचार (Napoleon Bonaparte ke prernadayak vichar)
- अब्राहम लिंकन के अनमोल विचार (Abraham Lincoln ke prernadayak vichar)
- रविंद्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार (Rabindranath Tagore ke prernadayak vichar)
- जैक मा के प्रेरणादायक विचार (jack Ma ke prernadayak vichar)
- स्वामी विवेकानन्द के अनमोल विचार (Swami Vivekananda ke prernadayak vichar)
Sorry…& thanks for your valuable comment to remind my mistake…..Now Photo is changed.
Sorry….& thanks for your valuable comment to remind my mistake…..Now Photo is changed..
गलत फोटो लगाई गई है। यह फोटो भगवान बुद्ध की है। भगवान महावीर की यह फोटो नहीं है। भगवान महावीर दिगम्बर थे। जबकि भगवान बुद्ध चीवर वस्त्र धारण करते थे।
अच्छा लेख है किन्तु फोटो में जो मूर्ति दिखाई है वो भगवन महावीर की नहीं बल्कि गौतम बुद्ध की प्रतीत होती है