मजदूर के बेटे ने खड़ी की 100 करोड़ की कम्पनी

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पी० सी० मुस्तफा : मजदूर के बेटे ने खड़ी की 100 करोड़ की कम्पनी

कुछ लोग अपनी गरीबी या मुश्किलों से निकलने के बजाय इन्हे अपनी किस्मत मान कर गरीबी में ही एक गुमनाम ज़िंदगी जी कर एक गुमनामी की मौत मर जाते हैं। कोई उनके बारे में जान तक नहीं पाता कि वो कौन थे या क्या करते थे? लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी गरीबी या मुश्किलों से बाहर निकल अपनी किस्मत खुद लिखते हैं और दूसरों के लिए एक मिसाल बन जाते हैं।

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जब कोई साधारण सा व्यक्ति गरीबी से निकल कर कुछ अलग काम करता है, लीक से हटकर काम करता है और जमीन से उठकर आसमान की बुलन्दी को छूता है तो वह अपने आप ही लाखों करोड़ो लोगों का प्रेरणा स्रोत बन जाता है, रोल मॉडल बन जाता है, एक मिसाल बन जाता है । ऐसे ही एक शख्स हैं पी० सी० मुस्तफा। जिनकी जिन्दगी बहुत से लोगों को प्रेरित करती है।

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एक बहुत ही गरीब मजदूर  कुली के बेटे पी० सी० मुस्तफा ने अपनी सोच, मेहनत और लगन से आकाश की बुलन्दी को छुआ है। कभी 6th Class में फेल होने वाले पी० सी० मुस्तफा आज ID Fresh FoodS (India) Pvt. Ltd. कम्पनी के मालिक हैं जिसकी वैल्यू करीब 100 करोड़ रूपए  है। ID fresh “Ready to cook” तथा “Ready to use” packaged बैटर, चपाती, पराठे तथा चटनी बेचती है।

आइये जानते हैं उनके संघर्ष की कहानी।

पी० सी० मुस्तफा का आरम्भिक जीवन

पी० सी० मुस्तफा का जन्म केरल के एक छोटे से गाँव वयनाड में हुआ था। इनके पिता का नाम अहमद तथा माता का नाम फातिमा था। इनके पिता ने सिर्फ चौथी कक्षा तक पढाई करने के बाद पढाई छोड़ दी थी। इनके पिता कॉफी के बगीचे में कुली का काम करते थे। इनकी माँ कभी स्कूल नहीं गयी थी। इनके गाँव में सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल था। गाँव में बिजली और सड़क की सुविधा भी नहीं थी। गाँव में प्राइमरी के बाद कोई स्कूल नहीं होने के कारण बच्चे पढाई छोड़ देते थे। हाईस्कूल करने के लिए बच्चों को गाँव से चार कि०मी० दूर पैदल जाना पड़ता था। जिसके कारण ज्यादातर बच्चे स्कूल जाना बन्द कर देते थे। बचपन में मुस्तफा का मन पढाई में नहीं लगता था। इसलिए स्कूल के बाद वह अपने पिता के पास बगीचे में चला जाता था।

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छठी कक्षा में हुए फेल, पढाई छोड़ी

मुस्तफा का मन पढ़ाई में नहीं लगता था, इसलिए छठी कक्षा में ये फेल हो गये थे। फेल होने के बाद इनका मन पढ़ाई से बिल्कुल उचट गया। इनके पिता भी इन्हें पढ़ाने के इच्छुक नहीं थे। वे इन्हें अपने साथ काम पर लगाना चाहते थे। इसलिए मुस्तफा ने पढ़ाई छोड़ दी और अपने पिता के साथ बगीचे में काम पर जाने लगे।

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अध्यापक ने बदली जिंदगी

मुस्तफा mathematics  में अच्छे थे। इसलिए उनके एक अध्यापक (मैथ्यू सर) को उनका स्कूल छोड़ना अच्छा नहीं लगा। उनके अध्यापक ने उनके पिता से बात करके मुस्तफा को दोबारा स्कूल जाने के लिए मना लिया।

उनके अध्यापक ने उनसे सवाल किया कि “तुम क्या बनना चाहते हो कुली या एक अध्यापक?” इस सवाल ने मुस्तफा को एहसास कराया कि स्कूल छोड़कर वह क्या गलती कर रहा था? मुस्तफा ने कहा कि मुझे आपकी तरह एक अध्यापक बनना है। इसके बाद मुस्तफा ने स्कूल जाना शुरू कर दिया। जिन विषयों में मुस्तफा कमजोर थे, उन विषयों पर मैथ्यू सर ने उन्हें Extra Classes देनी शुरू कर दी।

मैथ्यू सर की मदद और अपनी मेहनत से मुस्तफा ने दोबारा छठी कक्षा की परीक्षा पास की। उसके बाद 12वी तक वो हर कक्षा में अच्छे नम्बरों से पास होते रहे। 12वी के बाद मुस्तफा ने Engineering का Entrance Exam पास किया और Charity की मदद से कोझीकोड के National Institute of Technology (NIT) में प्रवेश लिया।

नौकरी की शुरुआत

इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें अमेरिका की मोबाइल कम्पनी मोटोरोला में नौकरी मिली। उनकी joining बैंगलूरू में थी लेकिन कम्पनी ने एक प्रोजेक्ट के लिए उन्हें एक लम्बे समय के लिए ब्रिटेन भेज दिया। लेकिन उनका मन वहाँ पर नहीं लगा। इसके बाद उन्होंने मोटोरोला की नौकरी छोड़ कर दुबई में City Bank के Technology Department में Join किया। उन्होंने दुबई में लगभग सात साल नौकरी की। इसके बाद वह नौकरी छोड़ कर भारत वापिस आ गये।

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किराने की दुकान से मिला बिसनेस का आईडिया

दुबई से आने के बाद मुस्तफा IIM Bangaluru से MBA कर रहे थे। पढाई के साथ साथ मुस्तफा छुट्टी वाले दिन अपने चेचेरे भाईयों की किराने की दुकान पर जाते थे। दुकान पर मुस्तफा ने देखा कि कुछ महिलाएं इडली और डोसा बनाने के लिए बैटर (आटे का घोल) खरीद कर ले जाती हैं। यहीं से उनके दिमाग में packged foods का बिजनेस करने का आईडिया आया।

बिजनेस की शुरुआत

अपने आईडिया को बिजनेस में बदलते हुए इन्होने 2005 में अपने भाइयों के साथ बिना chemical  के  natural batter बनाकर बेचना शुरू किया। इस काम के लिए इन्होंने अपनी पहले की नौकरियों में से बचाये हुए पैसो में से 25000 रु० लगाये तथा कुछ पैसे इनके भाइयों ने लगायें।

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शुरुआत में इन्होने भाईयों के साथ मिलकर 5000 kg.चावल खरीदें। जिससे इन्होने 15000 kg. बैटर बनाया। उसके बाद बैटर को पैक करके sample के तौर पर खुद ही  distributers के पास जाकर  distribute करना शुरू किया। बिना केमिकल और अच्छी क्वालिटी होने के कारण इनका बैटर काफी पसंद किया जाने लगा।

मुस्तफा बताते हैं कि

“हमारी पहले महीने की कमाई सभी किराये और खर्चे निकालकर 400 रु० थी।”

ID Fresh की शुरुआत

2008 में इन्होने 50 sq फुट की एक जगह किराये पर ली और एक ग्राइंडर के साथ Best Foods Pvt. Ltd. के नाम से कम्पनी की शुरुआत की। लेकिन copyright issues के चलते जल्दी ही इन्हें अपनी कम्पनी का नाम बदलकर ID Special Foods Pvt. Ltd. करना पढ़ा। शुरुआत के 6 महीनों के लिए इन्होने बैटर के  100 packets (प्रत्येक का वजन 1 कि०ग्रा०) प्रतिदिन बेचने का लक्ष्य रखा। ये अपने भाइयों के साथ खुद अपने माल की डिलीवरी देकर आते थे। 6 महीनों बाद इन्होने 6 लाख रु० invest करके अपनी जगह को बढ़ाकर 800 sq फुट कर दिया। जिसकी क्षमता 15 grinders के साथ 2000 kg. प्रतिदिन batter तैयार करने की थी।

2010 तक आते आते उनका कारोबार 2000 Packets प्रतिदिन बेचने का हो गया।

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2014 में 35 करोड़ का निवेश प्राप्त किया

2014 तक आते आते कम्पनी में 600 लोग काम कर रहे थे। कम्पनी के ग्रोथ और विस्तार को देखते हुए हेलियन वेंचर पार्टनर्स ने 2014 में इसमें 35 करोड़ रु० का निवेश किया। जिससे कम्पनी की Valuation करीब 62 करोड़ रु० हो गयी।

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वर्तमान में एक हजार से ज्यादा लोग करते हैं काम

वर्तमान में कम्पनी में लगभग 1100 कर्मचारी काम करते हैं और 8 शहरों बैंगलूरू, मैसूर, मैंगलोर, चेन्नई, मुंबई, हैदराबाद, पुणे तथा शारजाह में इसका कारोबार फैला हुआ है।

कभी 10 पैकेट प्रतिदिन बेचने वाली यह कम्पनी वर्तमान में लगभग 50000 पैकेट (प्रति पैकेट 1 कि०ग्रा०) बैटर प्रतिदिन बेच रही है। बैटर के साथ साथ कम्पनी 40000 चपाती, 2 लाख पराठे तथा 2000 चटनी के packets (200 ग्राम) प्रतिदिन बेच रही है। जिनकी सप्लाई लगभग 8 शहरों में 200 Tata Ace पर रोजाना हो रही है। जो हर दिन 10000 स्टोर के सम्पर्क में रहते हैं।

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वित्तीय वर्ष 2014-2015 में उनकी कम्पनी का turnover लगभग 62 करोड़ रु० था जो 2016 में बढ़कर लगभग 100 करोड़ रु० हो गया है।

अगला लक्ष्य 30 शहरों में Business करके कम्पनी का Turnover 1000 करोड़ करने का

मुस्तफा ने बिना कैमिकल के “Ready to cook Packeged Batter” से अपने Business शुरुआत की थी। अब इनका अगला लक्ष्य बैटर के साथ साथ “Ready to Use” packeged सांभर, चटनी, चपाती, पराठे और ढोकला के साथ 30 शहरों में अपने Bussines का विस्तार करने का  है। और अगले 5 सालो में 1000 करोड़ का Turnover हासिल करना है।

दोस्तों, अपने देखा कि कैसे एक मजदूर के बेटे ने अपने संघर्षो से गुजरते हुए अपनी बड़ी सोच और मेहनत के दम पर एक 100 करोड़ की कम्पनी खड़ी कर दी।

मुस्तफा सलाह देते हुए कहते हैं कि “अगर आपके पास आइडिया है और आपके अन्दर शुरुआत करने का दम है तो तुरंत शुरुआत कर दीजिए। अपने विचार को कल के लिए मत टालें।”

तो दोस्तों अगर आपके पास कोई ऐसा यूनिक आइडिया है जो थोड़ा हटकर है या आप उस Idea को बिजनेस में बदल सकते हैं। तो सबसे पहले अपने unique idea का future scope देखे और market की demand देखें। अगर बाजार में उसकी माँग है और आप अपने idea को business में बदलने की ताकत रखते हैं तो तुरंत शुरुआत कर दीजिए। अपने आइडिया को कभी भी कल के लिए मत रखें। बस शुरुआत कर दें बाकि रास्ते  खुद ब खुद बनते चले जायेगें।

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15 thoughts on “मजदूर के बेटे ने खड़ी की 100 करोड़ की कम्पनी”

  1. Waah pushpender ji bahut hi achha laga apka yah article. Mujhe iss tarah ke motivational article bahut pasand hain. Thank for sharing.

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