Moral stories in hindi : दोस्तों, हिंदी प्रेरणादायक कहानियाँ (Hindi Moral stories) के कारवाँ को आगे बढ़ाते हुए, आज फिर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक नयी हिंदी प्रेरणादायक कहानी (Motivational story in hindi)। इसे पढ़िए, इससे सीखिए और इसे प्रेरणा लीजिये।
जिंदगी में परेशानियाँ, मुश्किलें तो सभी के साथ लगी रहती हैं लेकिन कुछ लोग हर एक चीज को नकारात्मक नज़रिये से ही देखते हैं और हमेशा परेशान रहते हैं। हमेशा चिंता और तनाव से घिरे रहते हैं और अपने घर परिवार में भी तनाव का माहौल बना देते हैं। वो किसी भी चीज से खुश नहीं रहते हैं और अपने आगे बढ़ने के रास्ते बंद कर लेते हैं।
वहीँ कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो जिन्दगी में हर एक चीज को सकारात्मक नज़रिये से देखते हैं। वो हर एक परेशानी, हर एक मुश्किल के सकारात्मक पक्ष को देखते हैं और ज्यादतर खुश रहते हैं।
नकारात्मक नज़रिये से हम छोटी से छोटी परेशानी को भी बहुत बड़ी मुश्किल में बदल देते है। और सकारात्मक नज़रिये से बड़ी से बड़ी मुश्किल को भी आसानी से दूर कर सकते हैं।
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नकारात्मक नज़रिये और सकारात्मक नज़रिये से सम्बंधित एक कहानी मैं आपके सामने पेश कर रहा हूँ और अगर आपने ये कहानी थोडा ध्यान से पढ़कर समझ ली तो मैं दावा करता हूँ कि ये कहानी आपके सोचने के नज़रिये को जरुर बदल देगी।
एक व्यक्ति काफी दिनों से चिंतित चल रहा था। जिसके कारण वह काफी चिडचिडा तथा तनाव में रहने लगा था। वह इस बात से परेशान था कि घर के सारे खर्चे उसे ही उठाने पड़ते हैं, पूरे परिवार की जिम्मेदारी उसी के ऊपर है, किसी ना किसी रिश्तेदार का उसके यहाँ आना जाना लगा ही रहता है, उसे बहुत ज्यादा income tax देना पड़ता है आदि आदि।
इन्ही बातों को सोच सोच कर वह काफी परेशान रहता था तथा बच्चों को अक्सर डांट देता था तथा अपनी पत्नी से भी ज्यादातर उसका किसी न किसी बात पर झगडा ही चलता रहता था।
एक दिन उसका बेटा उसके पास आया और बोला पिताजी मेरा स्कूल का होमवर्क करा दीजिये। वह व्यक्ति पहले से ही तनाव में था तो उसने बेटे को डांट कर भगा दिया। लेकिन जब थोड़ी देर बाद उसका गुस्सा शांत हुआ तो वह बेटे के पास गया तो देखा कि बेटा सोया हुआ है और उसके हाथ में उसके होमवर्क की कॉपी है। उसने कॉपी लेकर देखी तो उसने होमवर्क किया हुआ था। जैसे ही उसने कॉपी नीचे रखनी चाही, उसकी नजर होमवर्क के टाइटल पर पड़ी।
होमवर्क का टाइटल था “वे चीजें जो हमें शुरू में अच्छी नहीं लगतीं लेकिन बाद में वे अच्छी ही होती हैं”
इस टाइटल पर बच्चे को एक पैराग्राफ लिखना था जो उसने लिख लिया था। उत्सुकतावश उसने बच्चे का लिखा पढना शुरू किया।
बच्चे ने लिखा था
“मैं अपने फाइनल एग्जाम को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये बिलकुल अच्छे नहीं लगते लेकिन इनके बाद स्कूल की छुट्टियाँ पड़ जाती हैं।”
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“मैं ख़राब स्वाद वाली कड़वी दवाइयों को बहुत धन्यवाद् देता हूँ क्योंकि शुरू में तो ये कड़वी लगती हैं लेकिन ये मुझे बीमारी से ठीक करती हैं।”
“मैं सुबह सुबह जगाने वाली उस अलार्म घड़ी को बहुत धन्यवाद् देता हूँ जो मुझे हर सुबह बताती है कि मैं जीवित हूँ।”
“मैं ईश्वर को भी बहुत धन्यवाद देता हूँ जिसने मुझे इतने अच्छे पिता दिए। क्योंकि उनकी डांट मुझे शुरू शुरू में तो बहुत बुरी लगती है लेकिन वो मेरे लिए खिलौने लाते हैं, मुझे घुमाने ले जाते हैं और मुझे अच्छी अच्छी चीजें खिलाते हैं और मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मेरे पास पिता हैं क्योंकि मेरे दोस्त सोहन के तो पिता ही नहीं हैं।”
बच्चे का होमवर्क पढने के बाद वह व्यक्ति जैसे अचानक नींद से जाग गया हो। उसकी सोच बदल सी गयी। बच्चे की लिखी बातें उसके दिमाग में बार बार घूम रही थी। खासकर वह last वाली लाइन। उसकी नींद उड़ गयी थी। फिर वह व्यक्ति थोडा शांत होकर बैठा और उसने अपनी परेशानियों के बारे में सोचना शुरू किया।
“मुझे घर के सारे खर्चे उठाने पड़ते हैं। इसका मतलब है कि मेरे पास घर है और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से बेहतर स्थिति में हूँ जिनके पास घर नहीं है।”
“मुझे पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है। इसका मतलब है कि मेरा परिवार है, बीवी बच्चे हैं और मैं दुनियाँ में अकेला नहीं हूँ और ईश्वर की कृपा से मैं उन लोगों से ज्यादा खुशनसीब हूँ जिनके पास परिवार नहीं हैं और वो दुनियाँ में बिल्कुल अकेले हैं।”
“मेरे यहाँ कोई ना कोई मित्र या रिश्तेदार आता जाता रहता है। इसका मतलब है कि मेरी एक सामाजिक प्रतिष्ठा है और मेरे पास मेरे सुख दुःख में साथ देने वाले लोग हैं।”
“मैं बहुत ज्यादा income tax भरता हूँ। इसका मतलब है कि मेरे पास अच्छी नौकरी है और मैं उन लोगों से बेहतर हूँ जो बेरोजगार हैं और पैसों की वजह से बहुत सी चीजों और सुविधाओं से वंचित हैं।”
“हे मेरे भगवान् ! तेरा बहुत बहुत शुक्रिया ……मुझे माफ़ करना। मैं तेरी कृपा को पहचान नहीं पाया …हाथ जोड़कर उस व्यक्ति ने ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहा।“
इसके बाद उसकी सोच एकदम से बदल गयी। उसकी सारी परेशानी, सारी चिंता एक दम से जैसे ख़त्म हो गयी। वह एकदम से बदल सा गया। वह भागकर अपने बेटे के पास गया और सोते हुए बेटे को गोद में उठाकर उसके माथे को चूमने लगा और अपने बेटे को तथा ईश्वर को धन्यवाद देने लगा।
दोस्तों, इस कहानी में बहुत ही गहरी और अच्छी बात छुपी हुई है कि आपके सामने जो भी परेशानियाँ हैं आप उनके नकारात्मक पक्ष को ना देखकर उसके सकारात्मक पक्ष को देखें। हम जब तक किसी भी चीज को नकारात्मक नज़रिये से देखते रहेंगे तब तक हम परेशानियों से घिरे रहेंगे। चिंता और तनाव हमें घेरे रहेंगे। लेकिन जैसे ही हम उन्ही चीजों को, उन्ही परिस्तिथियों को सकारात्मक नज़रिये से देखेंगे, हमारी सोच एकदम से बदल जाएगी। हमारी सारी चिंताएं, सारी परेशानियाँ, सारे तनाव एक दम से ख़त्म हो जायेंगे। और हमें आगे बढ़ने के और मुश्किलों से निकलने के नए नए रास्ते दिखाई देने लगेंगे।
दोस्तों, ईश्वर ने आपको जो भी दिया है, उसमें खुश रहना चाहिए। कभी भी किसी चीज के ना होने पर ईश्वर को दोष ना दें। बल्कि ये सोचें कि जितना आपके पास है उतना भी बहुत से लोगो को नसीब नहीं होता है। आप बहुत से लोगों से आज भी बहुत बेहतर स्थिति में हैं। आप के पास आज जो कुछ भी है, आज आपके पास जो भी सुविधाएँ हैं, उनको पाने के लिए भी बहुत से लोग तरसते हैं, सपने देखते हैं। तो कभी भी किसी भी चीज को नकारात्मक नज़रिये से ना देखें। आपके पास जितना है उसमें खुश रहें और हर एक चीज, हर एक परिस्थिति को सकारात्मक नज़रिये से देखें और अपनी जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए मेहनत करते रहें।
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Thank you Pramod ji
आपका लेख काफी रूचिकर और प्रेरणादायक है।
Thank you sarthak ji…..aise hi Gyan Versha se jude rahen
this story is very nice.I am so glad read this story.
THANK YOU sir
आपका धन्यवाद् ललित जी
Great Post Thanks for share Pushpendra ji
Are Dhheraj ji ye to aap logon ka pyar hai …jo mere articles aapko pasand aate hain …..aapka bahut bahut dhanyawad
Sir ji you are great…
That’s reality.
अरे संदीप जी …..ये तो आप जैसे भाईयों का अपनापन और प्यार है जिसकी वजह से मैं थोडा बहुत लिख लेता हूँ ….बस ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहें …..आपका धन्यवाद
आपने सही कहा जमशेद जी ……हम पहले से ही तय कर लेते हैं कि ये काम हम से नहीं होगा …..अगर हम अपनी सोच को बदल लें तो सब कुछ संभव है …….
Sir bahut hi lajawab story hai. Or Upar se lajawab writing skill. Story me chaar chaand laga deti hai.
आपकी यह पोस्ट हम सभी को बहुत अच्छी तरह से मोटीवेट करती है। नकारात्मक सोच से जिंदगी में असफलताओं की बाढ़ सी आ जाती है। क्योंकि हम तो पहले से ही यह तय कर चुके होते हैं कि यह काम हमसे नहीं होगा या इसमें सफलता ही नहीं मिलेगी।
aapka dhanyawad amit ji…..kripya Gyan Versha se aise hi jude rahen
Very inspiring story , thank you so much for sharing , really hum apni jindaggi badal sakte hai agar apna najariya badal de
आपका बहुत बहुत धन्यवाद् प्रीती जी ……..ज्ञान वर्षा से ऐसे ही जुड़े रहें ….
Very nice article and full of positive motivated story