Traditions of Hindu Dharm Marriages and their Scientific Logic : हिन्दू धर्म की शादियों की रस्में और उनके वैज्ञानिक तर्क
हिन्दू धर्म की शादियों में बहुत सी रस्में और रीति रिवाज निभाए जाते हैं। भारतीय रीति रिवाज (Indian Traditions) और भारतीय संस्कृति (Indian Culture) सिर्फ भारत में ही नही बल्कि विदेशों में भी काफी पसंद की जाती है। भारतीय शादियों में कुछ ऐसी रस्में होती हैं जो सिर्फ रीति रिवाज या रस्में ही नही हैं, उनके वैज्ञानिक कारण भी हैं और फायदे भी हैं। और जो वर-वधु (Husband-Wife) के लिए जरूरी भी हैं।
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आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ रीति रिवाजों के बारे में।
1. सगाई की अंगूठी पहनाना (Wear an engagement ring)
शादी से पहले की सबसे खास रस्म होती है सगाई। हिन्दू धर्म के अनुसार सगाई वाले दिन वर-वधु एक दूसरे को बाएं हाथ की चौथी उंगली (अनामिका उंगली) में अंगूठी पहनाते हैं। सगाई की रस्म अंगूठी पहनाकर ही सम्पन्न होती है।
वैज्ञानिक तर्क :- शरीर विज्ञान के अनुसार बायें हाथ की चौथी उंगली में एक ऐसी नस होती है जो सीधे दिल से जुड़ी होती है। इस उंगली में अंगूठी पहनने पर उस नस पर दबाव पड़ता है जिससे दिल तक रक्त संचार सुचारू रूप से होता है और दिल मजबूत होता है। तथा अंगूठी पहनाने वाले की याद दिलमें हमेशा रहती है और उसके लिए प्यार बना रहता है।
2. शरीर पर हल्दी का लेप लगाना (Turmeric paste on body)
शादी से पहले दूल्हा और दुल्हन को हल्दी का लेप लगाया जाता है। परम्परा के अनुसार शादी से पहले हल्दी लगाने पर चेहरे पर निखार आता है तथा वर-वधु बुरी नजर से बचे रहते हैं।
वैज्ञानिक तर्क :- हल्दी में बहुत सारे औषधीय गुण होते हैं तथा हल्दी एंटी-सेप्टिक भी होती है। हल्दी लगाने से त्वचा सम्बन्धी रोग, इन्फैक्शन या शारीरिक दर्द बहुत जल्दी ठीक हो जाते है तथा चेहरे और त्वचा पर प्राकृतिक निखर आता है। हल्दी लगाने से वर-वधु को शादी के समय थकान महसूस नही होती है।
3. हाथ पैरों पर मेंहदी लगाना (Henna on hands and feet)
शादी से पहले दूल्हा तथा दुल्हन के हाथ पैरों में मेहंदी लगाई जाती है। परम्परा के अनुसार मेहंदी लगाना शुभ होता है। मान्यता के अनुसार हाथों में मेहंदी का रंग जितना गहराचढ़ता है, वर तथा वधु के बीच उतना ही गहरा प्यार होता है। इसलिये मेहंदी को शगुन माना गया है।
वैज्ञानिक तर्क :- विज्ञान के अनुसार मेहंदी में एंटिसेप्टिक गुण होते हैं। मेहंदी लगाने से शरीर को ठंडक मिलती है जिससे तनाव, सिरदर्द और बुखार से राहत मिलती है। इसलिये शादी से पहले इन बीमारियों से बचाने के लिए वर तथा वधु को महंदी लगाई जाती है।
4. अग्नि के चारों ओर फेरे लेना (Walk around the fire)
शादी की सबसे मुख्य रस्म है अग्नि के चारो ओर सात फेरे लेना। जब तक यह रस्म पूरी नही हो जाती तब शादी नही मानी जाती है। इसीलिए वर तथा वधु अग्नि के चारो ओर चक्कर लगाकर सात फेरे लेते हैं।
वैज्ञानिक तर्क :- अग्नि जलाने से नकरात्मक ऊर्जा दूर होती है। अग्नि में आम, चन्दन की लकड़ियाँ, घी, चावल, सामग्री आदि चीजें डाली जाती हैं जिनके जलने से आसपास का वातावरण शुद्ध होता है तथा शांति का माहौल बनता है। जिससे वहाँ उपस्थित लोंगो के स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है तथा मानसिक शांति मिलती है तथा वर वधु में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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5. मांग में सिंदूर भरना (Filling vermilion in demand)
हिन्दू धर्म के अनुसार शादी के दिन दूल्हा, दुल्हन की मांग में सिंदूर भरकर उसे अपनी पत्नि स्वीकार करता है। जिसके बाद दुल्हन हमेशा अपनी मांग में सिंदूर भरती है। मांग में सिंदूर भरा होना शादीशुदा होने का प्रतीक है।
वैज्ञानिक तर्क :- शरीर विज्ञान के अनुसार मांग भरने वाली जगह पर यानि माथे से लेकर सिर के बीच तक दिमाग की एक बहुत महत्वपूर्ण तथा संवेदनशील ग्रंथी होती है जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। जब इस जगह सिंदूर लगाया जाता है तो यह एक औषधि का कार्य करता है।जिससे दिमाग शांत रहता है।
शादी के बाद महिला पर गृहस्थी का दबाव आ जाता है जिससे उसे तनाव, चिंता अनिद्रा, सिरदर्द आदि बीमारियाँ घेर लेती हैं। सिंदूर में हल्दी, चूना तथा पारा होता है। पारा दिमाग को ठंडा रखता है। इसलिये मांग में सिंदूर भरा जाता है। ताकि इन बीमारियों से बचा जा सके।
दूसरा कारण ये भी है कि पारे की वजह से पत्नि के मन में सेक्स की इच्छा बनी रहती है जो शादीशुदा जिन्दगी के लिए बहुत जरूरी है। और इसी वजह से कुँवारी लडकियाँ तथा विधवा स्त्रियाँ अपनी मांग में सिंदूर नही भरती हैं।
6. हाथों में चूड़ियाँ पहनना (Wearing bangles in hand)
भारतीय संस्कृति के अनुसार स्त्रियों का शादी के बाद चूड़ियाँ पहनना बहुत जरूरी है। चूड़ियाँ सुन्दरता में भी चार चाँद लगा देती हैं। मान्यता के अनुसार चूड़ियाँ पति के नाम की पहनी जाती है।
वैज्ञानिक तर्क :- हाथों की कलाइयों में कई एक्यूप्रेशर बिन्दु (Points) होते हैं। चूड़ियों से इन बिंदुओं पर pressure पड़ता है जिससे Blood Circulationसही रहता है। जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
7. पैरो की उंगलियों में बिछुवे पहनना (Wearing nettles on toes)
शादी के बाद स्त्रियाँ पैर की दूसरी उंगली में बिछुवे पहनती हैं। जो धर्म परम्परा है तथा सुन्दरता का प्रतीक है और एक श्रंगार भी है।
वैज्ञानिक तर्क :- पैर की दूसरी उंगली में एक नस होती है जो गर्भाशय से होती हुई दिल तक जाती है। बिछुवे पहनने से इस नस पर दबाव पड़ता है जिससे गर्भाशय तथा दिल तक रक्त संचार सुचारू रूप से होता है। जिससे गर्भाशय मजबूत बनता है तथा मासिक धर्म का चक्र नियमित रहता है।
दूसरा कारण ये भी है कि बिछुवे चांदी के होते है और चांदी ऊर्जा का अच्छा स्रोत है। जो पृथ्वी से ऊर्जा ग्रहण करके स्त्रियों के शरीर में प्रवाहित करती है।
तो दोस्तों, ये थी शादी विवाह से जुडी कुछ रस्में, कुछ रीति रिवाज। जिन्हें देखते, जानते तो सब हैं लेकिन इनके पीछे के असली मकसद के बारे बहुत कम लोग जानते हैं। और इसलिए बिना इनकी वास्तविक सच्चाई जाने ही कुछ लोग इन्हें अंधविश्वास कहते हैं और इनका पालन नहीं करते हैं। जिसके कारण वे कहीं ना कहीं इनके प्राकृतिक चिकित्सकीय लाभ से वंचित रहते हैं और बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं।
आज मैंने इसीलिए ये आर्टिकल पोस्ट किया है ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को इन रीति रिवाजों के वैज्ञानिक फायदे और चिकित्सकीय लाभ के बारे में बता सकूँ।
हमारे पूर्वजों, ऋषि मुनियों कोआयुर्वेद, शारीर विज्ञान, प्राकृतिक चिकित्सा आदि के बारे में ज्ञान बहुत पहले हो गया था। इसीलिए उन्होंने प्राकृतिक चिकित्सकीय लाभ के लिए ये रिवाज शुरू किये ताकि इनका पालन करके हमारा स्वास्थ्य ठीक रहे।
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hello Kumar bohat achi post ha ap ki mujy bohat pasand ai ha our mery liye helpful bi ha
सर आप को में बहुत पहले से पढ़ रहा हु सर आप की पोस्ट सबसे बेस्ट रहती है love u सर
Nice article sr meri bhi ek website hai jis pe me facts ki jaankari deta hu sr aap ki post bahut aachi rahti hai humesa ki traha
Thank you for such a fine post.Please let us know the stages and procedure for for these Rasma. and what is needed from both the sides for its completion. guide and oblige us.
HARSHIT
बहुत बहुत धन्यवाद् जमशेद जी ……आप जैसे भाइयों के द्वारा उत्साह बढाने से ही मैं थोडा बहुत लिख लेता हूँ …..कृपया ऐसे ही उत्साह बढ़ाते रहें और ज्ञान वर्षा से जुड़ें रहे …..और तारीफ के साथ साथ मेरी कमियाँ भी बताते रहें.
आपकी इस पोस्ट केे लिए मैं क्या कहूं..? तरीफ के लिए शब्द कम पड़ जाएंगें। आप जिस तरह लिख रहे हैं, उससे तो एक बात साफ है, कि आपका ब्लाला ज्ञानवर्षा बहुत जल्दी ऊंचाइयों को छूने वाला है।
धन्यवाद् साहिल जी
बिलकुल शेयर करने योग्य लेख।
Apka dhanyawad rohtash ji……Aap aise hi Gyan Versha se jude rahiye
Hamari parmprayo ko ek vagyanik tarike se apne pes kiya eske liya apka dhanywad. Mai asa krta hu ki aap aage bhi eski soch ke sath kam krte rhege.