दीपक दरियानी : साइकिल पर चॉकलेट बेचकर बनाई 400 करोड़ की कम्पनी। (Deepak Dariyani : Made 400 Crores company by selling chocolate on cycle)
कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता। हर बड़ा काम पहले छोटे से ही शुरू होता है। फिर धीरे धीरे वही छोटा काम मेहनत, लगन और ईमानदारी से बड़ा और फिर बहुत बड़ा बन जाता है। आज के इस आर्टिकल में हम बात कर रहे हैं, मध्यप्रदेश के इंदौर में स्थित कम्पनी आशा कन्फैक्शनरी (Asha Confectionery Indore SR25) की। जब आशा कन्फैक्शनरी की शुरुआत हुई थी तो तब ये सिर्फ चॉकलेट बनाती थी। लेकिन आज के समय में ये कम्पनी चॉकलेट के साथ 70 से ज्यादा product बनाती है और एक 400 करोड़ की कम्पनी बन चुकी है।
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आइये जानते हैं कम्पनी और इस कम्पनी के मैनेजिंग डाइरेक्टर (MD) दीपक दरियानी के बारे में ।
कम्पनी की शुरुआत
इस कम्पनी की शुरुआत इस कम्पनी के मैनेजिंग डाइरेक्टर (MD) दीपक दरियानी की माँ आशा दरियानी और पिता सुंदरदास दरियानी ने साल 1984 में आशा कुटीर उधोग (Asha Kutir Udyog) के नाम से की थी। जब इस कम्पनी की शुरुआत हुई थी, तब दीपक 9 साल के थे। इस कम्पनी की शुरुआत घर के एक कमरे से ही हुई थी। उस समय दीपक की माँ घर में ही चॉकलेट बनाती थी। और दीपक इन चॉकलेट को जगह जगह जाकर बेचते थे। चॉकलेट बेचने के लिये दीपक रोजाना 12 किलोमीटर साइकिल चलाते थे।
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मुश्किल समय
9 साल की उम्र से ही काम करने की वजह से दीपक स्कूल नहीं जा सके। जहाँ उनकी उम्र के बच्चे खेलते कूदते और स्कूल जाते थे, वही दीपक रोजाना 12 km साइकिल चलाकर चॉकलेट बेचा करते थे। परिवार की खराब हालत की वजह से इनकी माँ इनसे कहती थी कि “हमारे परिवार की स्थिति दूसरे बच्चों के परिवार जैसी नहीं है। हम बहुत मुश्किल वक्त से जूझ रहे हैं। इसलिये तुम्हें खेलना छोडकर काम करना चाहिये”। इनके परिवार में माता पिता के अलावा एक छोटी बहन थी। परिवार में बड़े होने के कारण परिवार की जिम्मेदारियों का बोझ इनके कन्धों पर ही आ गया था।
कम्पनी का विस्तार
साल 1984 में चॉकलेट बनाने से शुरु हुई इनकी कम्पनी आज बटर टॉफी, जेली, वेफर बिस्कुट, कैंडी, कैक समेत 70 से ज्यादा products बनाती है। आज इनकी कम्पनी में 1200 से ज्यादा लोग काम करते हैं। साल 2013 में कम्पनी ने SR25 के नाम से नया ब्रांड शुरू किया है। एक कमरे से शुरू होने वाली ये कम्पनी आज भारत के अलावा 10 देशों को अपने products export करती है। और करीब चार लाख वर्ग फीट में फ़ैल चुकी है। आज इसका turnover 400 करोड़ रूपये है।
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हाइजीन और क्वालिटी पर ख़ास ध्यान
आज आशा कन्फैक्शनरी कम्पनी में सभी मशीने automated हैं। इस कम्पनी में पार्लर भी हैं। जिससे सभी कर्मचारी साफ़ स्वच्छ रहें और products का हाइजीन लेवल बना रहे। ये कम्पनी उच्च गुणवत्ता का कच्चा माल खरीदती है। ये अपनी products की quality के साथ कोई compromise नहीं करते हैं। इनके ज्यादातर products Indian culture और Indian taste के अनुसार ही हैं।
पुरस्कार:-
- साल 2015 में लघु एवं सूक्ष्म मंत्रालय द्वारा सर्वाधिक सेवा नियोजन का पुरस्कार।
- साल 2017 में भारत सरकार के उधोग मंत्रालय द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार।
कार कलेक्शन:-
आज दीपक के पास Lamborghini, Porsche, BMW, Ferrari, Cabriolet, Mercedes, Audi, Range Rover जैसी कई मँहगी कार तथा कई बड़े ब्रांड्स की साइकिल तथा super bikes भी हैं।
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तो दोस्तों, आपने देखा कि कैसे एक व्यक्ति ने साइकिल पर चॉकलेट बेचकर 400 करोड़ की कंपनी बना ली। दोस्तों, समय कभी भी एक जैसा नहीं रहता है। मुश्किलें, परेशानियां हमेशा नहीं रहती हैं। जो लोग मेहनत और दृढ संकल्प के साथ मुश्किलों का सामना करते हैं, ईमानदारी से आगे बढ़ते हैं और किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानते हैं वो लोग जरूर अपनी ज़िंदगी में सफल होते हैं। सफलता उनके कदम जरूर चूमती है।
अभी कुछ दिन पहले आपने इंदौर का एक विडियो देखा होगा। जिसमे Lock down के बावजूद एक युवक बिना मास्क के Ferrari में घूम रहा था। पुलिस उसे पकड़कर उससे उठक बैठक लगवा रही थी। Ferrari में सवार वो युवक इन्ही दीपक दरियानी का बेटा संस्कार दरियानी था।
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